वर्षाकाल में बंद हो जाएगा सीवरेज प्रोजेक्ट

….क्योंकि नगर निगम नहीं चाहता कि अब कोई हादसा हो

– डेढ़ साल में टाटा कंपनी 458 में से सिर्फ 62 किमी लंबी पाइपलाइन बिछा पाई

– अभी 12 स्थानों पर चल रहा काम

उज्जैन। नगर निगम द्वारा शहर में बिछवाई जा रही भूमिगत सीवरेज पाइपलाइन का काम वर्षाकाल में फिर बंद हो जाएगा। क्योंकि नगर निगम नहीं चाहता है कि अब फिर कोई हादसा हो। एहतियात के लिए निगम ने पाइपलाइन बिछा रही टाटा प्रोजेक्ट कंपनी को बारिश से पहले समस्त गड्ढे भरने और सड़क खुदाई का कार्य बारिश के बाद ही करने के निर्देश दिए हैं।

मालूम हो कि शिप्रा की शुद्घि और शहर को खुले नाले-नालियों से मुक्त के लिए निगम ने 6 नवंबर 2017 को शहर में भूमिगत सीवरेज पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू कराया था। मगर यह काम पहले कुछ जनप्रतिनिधियों के अडंगा डाले जाने से और फिर बाद में सर्वे, पाइपलाइन डिजाइन की मंजूरी, कोर्ट में लगी जनहित याचिका और आम चुनाव की वजह से लेट होता चला गया। जबकि तय हुआ था कि कंपनी नवंबर-2019 तक कंपनी शहर में 458 किमी लंबी पाइपलाइन का नेटवर्क बिछाएगी और सुरासा में ट्रीटमेंट प्लांट बनाएगी। मियाद के 24 माह में से 18 माह गुजर गए हैं, मगर कंपनी अब तक 458 किमी में से 62 किमी लंबी पाइपलाइन ही बिछा पाई है। ट्रीटमेंट प्लांट का काम भी अधूरा है। वर्तमान में महाश्वेतानगर, बसंत विहार, संत कबीरनगर, सुभाषनगर, गढ़कालिका, दीप्ति विहार, महाकाल वाणिज्य केंद्र, महानंदानगर, शिवाजी पार्क, मंछामन कॉलोनी, ग्रीन पार्क कॉलोनी, शिप्रा नदी के किनारे समेत 13 स्थानों पर पाइपलाइन बिछाने का काम चल रहा है। ज्यादातर स्थानों पर पाइपलाइन बिछाने को खोदे गड्ढे खुले पड़े हैं। वर्षाकाल में ये गड्ढे हादसे का कारण न बने, इस लिहाज से प्रोजेक्ट की निगरानी कर रहे पीएचई के कार्यपालन यंत्री धर्मेंद्र वर्मा ने कंपनी को वर्षाकाल में पाइपलाइन बिछाने का काम रोकने के निर्देश दिए हैं। कहा है कि वे अपने समस्त गड्ढे बारिश से पहले भर लें। नई खुदाई अब बारिश के बाद ही करें।

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समय पर प्रोजेक्ट पूरा होना नामुमकिन

प्रोजेक्ट अनुबंधित समय पर पूरा होना नामुमकिन है। क्योंकि टाटा कंपनी डेढ़ साल में 25 फीसद काम भी नहीं कर पाई है। तीन माह के वर्षाकाल जुलाई, अगस्त, सितंबर में अगर काम बंद रहा तो कंपनी के पास काम करने के लिए सिर्फ दो माह का वक्त होगा। इस दो माह में 396 किमी पाइपलाइन बिछाना नामुमकिन है। उधर, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी इस अवधि में बन पाना मुश्किल बताया है।

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ऐसा पहली बार…शिप्रा नदी में बिछाई भूमिगत पाइपलाइन, कुछ इस तरह

फोटो नईदुनिया मेल से : अंगारेश्वर स्टॉपडेम के पास नदी को क्रॉस करने के लिए इस तरह बिछाई पाइपलाइन।

टाटा कंपनी ने शिप्रा नदी के किनारे और नदी को क्रॉस करने के लिए नदी के बीच भी भूमिगत पाइपलाइन बिछाना शुरू कर दिया है। महेश विहार कॉलोनी के पीछे काम तेजी से चल रहा है। इधर, अंगारेश्वर स्टॉपडेम के पास नदी को क्रॉस करने के लिए ट्रेंच खोदकर पाइपलाइन बिछाई है। नदी में तेज बहाव से पाइपलाइन बहे नहीं, इसके लिए पाइपलाइन को सीमेंट कांक्रीट के मिक्चर और लोहे के जाल से पाइपलाइन को कवर किया गया है। नदी के भीतर पाइपलाइन बिछाने का यह पहला मामला है। इसके पहले सिंहस्थ-2016 के दरमियान जब 85 करोड़ रुपए से खान डायवर्शन का काम हुआ था, तब भी नदी को पाइपलाइन से क्रॉस नहीं किया था।

प्रोजेक्ट लेट होने के मुख्य कारण

1. पहले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तत्कालीन स्थानीय मंत्री मंत्री, विधायक और सांसद की आपत्ति आना।

2. फिर लोकल सर्वे और पाइपलाइन की ड्राइंग-डिजाईन की मंजूरी मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी भोपाल से मिलने में 9 माह लग जाना।

3. वर्षाकाल और विधानसभा चुनाव-2018 के दरमियान मजदूर न मिलने से काम की गति काफी धीम हो जाना।

4. एक साथ सभी वार्डों में काम शुरू न कराकर क्रमानुसार काम करना और कम लेबर-मशीन लगाकर कार्य करना।

5. प्रोजेक्ट की नियिमित निगरानी के लिए नगर निगम या पीएचई की ओर से अमला न लगा होना।

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यह भी जानें

पूरा प्रोजेक्ट 700 करोड़ का है, जिसके पहले फेज में 402 करोड़ रुपए से शहर के 54 में से 35 वार्डों में भूमिगत सीवरेज लाइन बिछाई जाना है। पाइपलाइन का आकार 200 से 1600 मिमी व्यास तक का होगा। बड़े आकार की पाइपलाइन सीमेंट-कांक्रीट की होगी, जबकि छोटे आकार की पीवीसी की तरह डबल वॉल कॉरगेटेड होगी। पाइपलाइन बिछाने के बाद टाटा कंपनी शहर के 80305 मकानों के बाथरूम के पाइप को सीवरेज लाइन से जोड़ेगी। हर घर से 2 हजार रुपए कनेक्शन चार्ज और 150 रुपए महीना शुल्क वसूला जाएगा। कनेक्शन से खुली नालियां बंद होंगी और घर-दुकान का गंदा पानी पाइपलाइन से गुजरकर सीधे सुरासा में 74 एमएलडी के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचेगा। यहां पानी ट्रीट होकर शिप्रा नदी में मिलाया जाएगा। टाटा कंपनी 10 साल तक पाइपलाइन का संधारण एवं संचालन करेगी।

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